गोपाल अग्रवाल के प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप; ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर, सोर्स कोड, मशीनरी के साथ साथ स्टाफ की भी चोरी
पुणे के बड़े बिल्डर के आशीर्वाद से नई कंपनी स्थापित कर वर्क ऑर्डर भी डायवर्ट की गई; नई कंपनी में बिल्डर भी पार्टनर
पुणे: कंपनी में पार्टनर ने सॉफ्टवेयर, सोर्स कोड, उपकरण और स्टाफ चुराकर एक अलग कंपनी स्थापित की. जिस बिल्डर को सॉफ्टवेयर सप्लाई कर रहा था, उसी बिल्डर ने चोरी करने वाले सुदर्शन मित्रा और उसकी पत्नी प्रियंका बर्मन के साथ हाथ मिलाकर उस कंपनी में पार्टनरशिप की. बिल्डर की मदद से सुदर्शन मित्रा ने मेरे साथ करोड़ों रुपयों की धोखाधडी की है, जिससे मुझे आर्थिक, शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है. इस मामले में मुझे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, ऐसा आरोप होम ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर के मूल मालिक गोपाल अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाया है. इस मौके पर अग्रवाल के वकील ऍड राजस पिंगळे, मूकनायिका फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाळाराम गायकवाड़, पुणे जिला अध्यक्ष संदीप गायकवाड़ आदि उपस्थित थे। साथ ही न्यायालय ने इस मामले की फिर से जाँच करने का आदेश दिया है.
गोपाल अग्रवाल ने कहा, “निर्माण क्षेत्र के लिए आवश्यक होम ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर उत्पादन करने वाली कंपनी हमने 2015 में शुरू की थी। उसमें मित्रा निदेशक और भागीदार थे। 10 से 11 सॉफ्टवेयर इंजीनियर इस पर काम कर रहे थे। बिल्डर्स से मेरी मुलाकात होने के बाद मुझे उनके प्रोजेक्ट के 450 फ्लैटों में यह सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने का ऑर्डर मिला। परीक्षण के लिए उनके घर में सितंबर 2017 में यह सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया। उसी वक्त मित्रा का उनसे सीधा संपर्क हुआ. एक महीने के अंदर ही मित्रा ने मेरी कंपनी छोड़ उनके साथ शामिल हो गया। कंपनी छोड़ते समय मित्रा ने कोई जानकारी भी नहीं दी. उसी महीने में मित्रा और बिल्डर ने ‘होमवन टेक्नोलॉजी एलएलपी’ नाम से एक नई कंपनी शुरू की।”
“यह कंपनी शुरू करते समय मित्रा ने मेरी कंपनी से सभी सोर्स कोड, मास्टर डेटा, स्टाफ और कच्चा माल लूट लिया। स्टाफ और सिस्टम की कमी के कारण मेरी कंपनी का काम कुछ समय बंद रहा। उसके बाद मित्रा ने अपनी गलती का स्वीकार किया और पैसा वापस करने का वादा भी किया। इसके लिए उसने मुझे अपनी कंपनी का डीलर बनने का सुझाव दिया, लेकिन बाद में पैसे देने से इन्कार कर दिया. पहले चोरी और फिर धोखाधड़ी का एहसास हुआ तो मैं फातिमानगर थाने पहुंचा। लेकिन पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया. आखिरकार कुछ समय बाद सुदर्शन मित्रा, प्रियंका बर्मन और बिल्डर के खिलाफ 156 (3) के तहत मामला दर्ज किया गया. मित्रा को गिरफ्तार किया गया. लेकिन उन्होंने अदालत में झूठे दस्तावेज़ जमा करके दो दिनों के भीतर जमानत ले ली,” ऐसा गोपाल अग्रवाल ने बताया।
ऍड. राजस पिंगळे ने कहा, “पुलिस ने आंशिक जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया था। इसलिए अग्रवाल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और लगभग छह महीने तक अदालत में अपील करने के बाद अदालत ने मामले की दोबारा जांच करने का आदेश दिया है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ जांच लंबित रहने तक सभी उत्पादों और बैंक खातों को फ्रीज करने की भी मांग की है। पीड़ित गोपाल अग्रवाल के साथ हुए अन्याय और अत्याचार के खिलाफ निष्पक्ष रुख अपनाते हुए उन्हें न्याय दिलाते हुए सहयोग किया जाए। साथ ही उन्हें जल्द से जल्द पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए ऐसा अनुरोध पत्र मुख्यमंत्री समेत सभी विभागों को दिया गया है. समर्थ पुलिस थाने में इस मामले की केस दर्ज है और पुलिस इसकी निष्पक्षता से जांच करेंगे ऐसी हमारी मांग है.”